हम हैं शिक्षक सरकारी

हम हैं शिक्षक सरकारी
नहीं बेचते हम तरकारी।
बच्चों से हम करते प्यार
करते उनका जीवन उद्धार।
सूखी आँखों में उनकी लाते चमक
जीवन उनका खुशियों से भर उठे महक।
जो कहते हमें सरकारी हैं नकारे
वो अपना गिरेबां पहले झंकारे।
हम सरकारी ही करते सारी व्यवस्था,
कहते नहीं अपनी किसी से व्यथा।
हम हैं शिक्षक सरकारी
नहीं बेचते हम तरकारी।

रचयिता
अनवर अहमद, 
प्रधानाध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय पिपराव,
विकास खण्ड-मड़िहान, 
जनपद-मीरजापुर।

Comments

Total Pageviews