वीर शहीदों नमन तुम्हें

वीर शहीदों नमन तुम्हें है
श्रद्धा और सम्मान से
मान तुम्हीं अभिमान तुम्हीं
गर्व से सीना चौड़ा है
पूरा भारत नत मस्तक है
तेरे इस बलिदान से
वीर शहीदों नमन तुम्हें है
श्रद्धा और सम्मान से

आतंकवादियों की कायरता
गद्दारों ने छुपकर वार किया
पीठ पर गोली चला करके
उन वीरों का संहार किया
करते वार अगर सीने पर
एक वीर ही काफी था
सौ वहशी गद्दारों पर
मातृभूमि की रक्षा करने
जिस लाल को भेजा शान से
कर्ज दूध का चुका गए वो
अपने इस बलिदान से
वीर शाहीदों नमन तुम्हें है
श्रद्धा और सम्मान से

वतन के लिए लहू जो बहा है
साहस हिम्मत हर बून्दों में भरा था
धन्य है धरा वो
जिस पर लाल वो गिरे हैं
मिटा सिंदूर, साया सिर से उठा है
फिर भी पिता की आँखों से
न आँसू बहा है
वीर सपूत तिरंगे में लिपटा
देखो आज शान से
वीर शहीदों नमन तुम्हें है
श्रद्धा और सम्मान से

जिनके कद से आज बौना हिमालय हो गया है
जिनकी सौर्य गाथा से गगन तिरंगा हो गया है
जिन सपूतों ने अपने रक्त से
सींचा है हिन्दुस्तान को
जिन्होंने आजादी की कीमत
चुका दी अपनी जान से
उन शहीदों को नमन है
श्रद्धा और सम्मान से

रचयिता
अतीकुर्रहमान (अतीक),
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरवारी,
विकास खण्ड-सोहावल,
जनपद-अयोध्या।

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