माँ
ममता की छाँव में पल-बढ़कर
माँ तेरा दामन पकड़ा है।
कितनी बाधाएँ आयीं मगर
पर प्यार ने तेरे जकड़ा है।।
कल छोटी थी आज बड़ी हुई
माँ याद तो तेरी आती है।
पलकों पर आँसू भर आते
पर सिसक-सिसक रह जाती है।।
माँ तो माँ ही होती है
इसका कोई प्रतिरूप नहीं।
माँ के बिना इस वसुधा पर
जीवन का कोई रूप नहीं।।
पूजा अर्चन तू कर- कर के
बच्चों की दुआ मनाती है।
तेरी दुआओं के कारण ही
संतानें सब सुख पाती हैं।।
यदि एक निवाला घर में है
बच्चों को पहले खिलाती है।
कभी स्वयं के लिए न जिया तुमने
सर्वस्व न्योछावर करती है।।
रचयिता
डॉ0 सुमन गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय कोट,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-झाँसी।
माँ तेरा दामन पकड़ा है।
कितनी बाधाएँ आयीं मगर
पर प्यार ने तेरे जकड़ा है।।
कल छोटी थी आज बड़ी हुई
माँ याद तो तेरी आती है।
पलकों पर आँसू भर आते
पर सिसक-सिसक रह जाती है।।
माँ तो माँ ही होती है
इसका कोई प्रतिरूप नहीं।
माँ के बिना इस वसुधा पर
जीवन का कोई रूप नहीं।।
पूजा अर्चन तू कर- कर के
बच्चों की दुआ मनाती है।
तेरी दुआओं के कारण ही
संतानें सब सुख पाती हैं।।
यदि एक निवाला घर में है
बच्चों को पहले खिलाती है।
कभी स्वयं के लिए न जिया तुमने
सर्वस्व न्योछावर करती है।।
रचयिता
डॉ0 सुमन गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय कोट,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-झाँसी।
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