महान संत रविदास

चौदह सौ तैंतीस की, माघ सदी पन्दरास।
दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास।।
समयानुपालन की प्रवृत्ति, था मधुर व्यवहार।
माता कलसा देवी, बाबा संतोखदास।।
मीराबाई के गुरू, परोपकारी थे संत।
दुर्लभ है ऐसे मिलना हमको महान संत।।
जाति जाति मे जाति है, जो केतन के पात।
रैदास मनुष न जुड़ सके, जब तक जाति न पात।।
मन चंगा तो कठौती मे गंगा।
सत्य एक पुकार पर प्रकट हुई थी गंगा।।
प्रभुजी तुम चंदन हम पानी।
जाकी अंग अंग बास समानी।।
प्रभु जी तुम मोती हम धागा।
ऐसी भक्ति करै रैदासा।।
सीख सकें तो सीख लें,
कैसे जिएँ जीवन।
न बन पाएँ भगवंत तो,
बन जाएं हम संत।।

रचयिता
सुमन पांडेय,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय टिकरी मनौटी,
शिक्षा क्षेत्र -खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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