शिव सा बन जाएँ
शिवरात्रि पर करें कुछ चिंतन,
आओ हम भी शिव बन जाएँ।
कठिन परिस्थितियों में हम भी,
बेहतर से बेहतर कर दिखलायें।
भेद भाव सब मन के मिटा कर,
शिव जैसे निश्छल बन जाएँ।
थाम कंठ में अपनी विष पीड़ा,
स्नेह सुधा सब पर बरसायें।
भौतिकवादिता की कोई होड़,
हमें सुपथ से नहीं डिगाये।
हो अपार क्षमता या ज्ञान,
उस पर कभी नहीं इतरायें।
करें बड़ों का हम आदर ,
और छोटों को भी गले लगाएँ।
अड़े रहें कर्तव्य मार्ग पर,
जैसे शम्भू शिव-शंकर।
निःस्वार्थ भाव से हर प्राणी को,
मददगार हम हाथ बढ़ाएँ।
दें सम्मान सदा नारी को,
अर्धनारीश्वर सा हम मन पाएँ।
जीवन अपन सरल बनाएँ,
तेज चंद्रशेखर सा पाएँ।
निर्विकार कर जीवन अपना,
सचमुच शिव को हम तब भज पाएँ।
रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल- तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
आओ हम भी शिव बन जाएँ।
कठिन परिस्थितियों में हम भी,
बेहतर से बेहतर कर दिखलायें।
भेद भाव सब मन के मिटा कर,
शिव जैसे निश्छल बन जाएँ।
थाम कंठ में अपनी विष पीड़ा,
स्नेह सुधा सब पर बरसायें।
भौतिकवादिता की कोई होड़,
हमें सुपथ से नहीं डिगाये।
हो अपार क्षमता या ज्ञान,
उस पर कभी नहीं इतरायें।
करें बड़ों का हम आदर ,
और छोटों को भी गले लगाएँ।
अड़े रहें कर्तव्य मार्ग पर,
जैसे शम्भू शिव-शंकर।
निःस्वार्थ भाव से हर प्राणी को,
मददगार हम हाथ बढ़ाएँ।
दें सम्मान सदा नारी को,
अर्धनारीश्वर सा हम मन पाएँ।
जीवन अपन सरल बनाएँ,
तेज चंद्रशेखर सा पाएँ।
निर्विकार कर जीवन अपना,
सचमुच शिव को हम तब भज पाएँ।
रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल- तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
nice
ReplyDeleteThanx😇
DeleteVery nice lines dear.
ReplyDeleteThanx😇
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