२५४-सुशील कुमार प्र.अ., प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा ,हरख, बाराबंकी

मित्रों बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्नों के परिचय की इस कढ़ी में हम अपने उस आदर्श शिक्षक का परिचय करा रहे हैं जिन्होंने हमें बेसिक शिक्षा को सफलता की ओर ले जाने का आवश्यक व्यवहारिक पाठ  सिखाया। आपने अपने कार्य से उन हजारों नकारात्मकता की सवारी पर भ्रमण करने वाले शिक्षकों को सिखाया कि कैसे एक शिक्षक अपने सरल स्वभाव, सकारात्मक सोच, मेहनत और लगन से एक आदर्श विद्यालय बना सकता है। पिछले कई दिनों से हमारे अनेकों शिक्षक भाईयों की यह जिज्ञासा रही है कि आखिर इतना अच्छा विद्यालय बनाने के लिए धन कहाँ से आता है। मित्रो आज हम अपने आदर्श शिक्षक के शब्दों में आपको पढ़ा रहे हैं कि किसी काम को करने के लिए धन से पहले आपके मन की जरूरत पड़ती है। जिसे हमारे महापुरुषों ने सिखाया भी है कि---
"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत,,
अतः हमें पूरा भरोसा और विश्वास है कि जिस दिन से हम सब एक होकर अपने मन के साथ छः से आठ घण्टे शिक्षा और शिक्षक के हित और सम्मान लिए समर्पित हो जायेंगे। उसी दिन से बेसिक शिक्षा का स्वर्ण युग शुरू हो जायेगा। फिर धन तो बहुत ही तुच्छ नजर आयेगा।
मित्रो आइये जाने कैसे एक विद्यालय शून्य से शिखर की ओर भाई सुशील कुमार जी प्रधानाध्यापक
प्राथमिक विद्यालय गुलरिया, विकास खण्ड- हरक, जनपद- बाराबंकी की लगन से पहुँचा। पढ़े आपके  शब्दों में----''
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"सम्माननीय शिक्षक मित्रो--
मैंने 18/07/2007 को स्थानान्तरित हो कर प्राथमिक विद्यालय गुलरिहा में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। विद्यालय की स्थित अत्यंत ख़राब थी। विद्यालय परिसर में लोगो का कब्ज़ा था। बहुत सारे बच्चे विद्यालय में नाम लिखवाकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने जाते थे। विद्यालय में बच्चे बहुत ही गंदे बनकर आते थे, उनको उठने- बैठने, खाने -पीने, बोलने-चालने का तरीका सही नहीं पता था। बच्चों के पास लिखने के लिए कॉपी पेंसिल तक नहीं थी। विद्यालय प्रांगण में बॉउंड्री नहीं थी।
सर्वप्रथम बच्चों से आत्मीय जुड़ाव स्थापित करके उनमें नैतिक आदतों का विकास के साथ साथ सामान्य बोलचाल की भाषा में सुधार किया। विद्यालय में शैक्षिक वातावरण स्थापित करने हेतु अध्यापकों, अभिभावकों और ग्राम प्रधान जी से सहयोग माँगा। विद्यालय को प्राप्त अनुदान से अच्छी रंगाई- पुताई तथा tlm का निर्माण करवाया। स्टेशनरी, चटाई, खेल सामग्री आदि की व्यवस्था की गयी।
निःशुल्क यूनिफार्म के साथ टाई बेल्ट दी तथा अभिभावकों को प्रेरित करके बालकों के लिए भी यूनिफार्म की व्यस्था की गयी। स्कूल में अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा पाता देखकर अभिभावक भी प्रसन्न थे। उनका हमारी टीम पर भरोसा बढ़ चुका था। शीघ्र ही अभिभावकों ने scholorship के पैसों से बच्चों के लिए स्वेटर की व्यवस्था भी कर दी। अब बच्चे बहुत ही साफ़ सुथरे स्कूल आने लगे। लोग अब विद्यालय की प्राइवेट स्कूल से तुलना करने लगे थे जो बच्चे प्राइवेट में जाते थे वापस स्कूल में आ गए।
शैक्षिक वातावरण बनने के पश्चात मैंने भौतक परिवेश सुधारने हेतु बच्चों अभिभावकों और सहयोगी शिक्षकों की मदत से विद्यालय में क्यारियाँ बनवाकर उसमें पेड़-पौधे लगवाये। बॉउंड्री वाल बनी। एक साल बाद पेड़ पौधों की हरियाली और साफ सुथरे परिवेश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और पंचायत विभाग के अधिकारियों की नजर पड़ी। सभी के सहयोग से विद्यालय में मिट्टी की पटाई, पटंजा,  शौचालय तथा पानी की टंकी कमरे आदि बनवाये गए।
विद्यालय में बालिकाओं की उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से 2011 में सहायक अध्यापिका शिल्पी गुप्ता के द्वारा बच्चों को क्राफ्ट के अंतर्गत कई प्रकार के फूल, बुके, गुलदस्ता, फोटो फ्रेम, डॉल, मेहँदी लगाना, रंगोली बनाना, ग्रीटिंग कार्ड बनाना चित्रकारी आदि सिखाना प्रारम्भ किया गया। शैक्षिक वर्ष के प्रारम्भ से लेकर  अंत तक विद्यालय में सभी राष्ट्रीय तथा धार्मिक त्योहार महापुरुषों के जन्म दिन बाल दिवस, प्रवेश उत्सव, विदाई समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन, अंक पत्र वितरण के साथ साथ समर कैंप का आयोजन किया जाने लगा। मीडिया तथा सोशल साईट के माध्यम से गाँव के बाहर के लोग भी विद्यालय में हमारी टीम द्वारा किये गए कार्यो से परिचित होने लगे। विद्यालय में सामाजिक सहभागिता बढ़ी। कुछ उद्योग पतियों से संपर्क किया और विद्यालय के बच्चों को mdm ग्रहण करने के लिए प्लेट बैठने हेतु फर्नीचर, जूते मोज़े सर्दियों हेतु गरम पैजामा आदि की व्यवस्था की गयी।
इस प्रकार अपने स्टाफ, अभिभावकों, बच्चों, शिक्षा विभाग तथा पंचायत विभाग के अधिकारियों तथा समाज सेवक व्यक्तियों के सहयोग से विद्यालय का विकास किया गया। आज विद्यालय में संसाधनों का आभाव नहीं है।
विद्यालय में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था है। टीवी cd प्लेयर laptop  इंटरनेट, dth, tlm आदि के माध्यम से बच्चों को आधुनिक तरीके से प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है।
समर कैंप में विद्यालय के साथ- साथ आस- पास के गांव की अन्य बालिकाओं को भी प्रतिभाग करने का अवसर दिया जाता है।
पुस्तकालय में बच्चों की रूचि से सम्बंधित पर्याप्त पुस्तकें है।
वार्षिक शैक्षिक टूर की व्यवस्था है।
बाल पंचायत के माध्यम से बच्चे स्वानुशासित होकर अपनी समस्याओं का निराकरण तथा विद्यालय की व्यवस्था में सहयोग करते है।
बच्चों की व्यक्तिगत स्वच्छता तथा विद्यालय में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
विद्यालय प्रबंध समिति विद्यालय की व्यवस्था में विशेष सहयोग करती है।
Thanks☺☺,,
अतः मिशन संवाद की ओर से शिक्षा के लिए समर्पण और परिवर्तन के प्रतीक भाई सुशील कुमार जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं! 
मित्रों आप भी बेसिक शिक्षा विभाग के सम्मानित शिक्षक हैं तो इस मिशन संवाद के माध्यम से शिक्षा एवं शिक्षक के हित और सम्मान की रक्षा के लिए हाथ से हाथ मिला कर अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सहयोगी बन कर अपने शिक्षक धर्म का पालन करें। हमें विश्वास है कि अगर आप लोग हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सबेरा आयेगा।
हम सब हाथ से हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक अच्छे कार्य कर विभाग को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण और फोटो भेजने का WhatsApp no- 9458278429 है।
साभार: शिक्षण संवाद एवं गतिविधियाँ
विमल कुमार
कानपुर देहात
03/06/2016

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