हिन्दी भाषा

हिन्दी भाषा मेरी शान
मुझको इस पर है अभिमान
पैरोकार बने यह मान
यही करे सबका कल्यान।

नियत न हो इसका दिनमान
पुरोधाओं को मेरा प्रणाम
निरन्तर उन्नति और सम्मान
करेगा हम सबका उत्थान।

कराता जो सबको रसपान
यही हिन्दी भाषा का ज्ञान
जोश भर दे, फूँके नव प्रान
यही है हिन्दी की पहचान।

हृदय में बसे कराए भान
विश्व की संस्कृतियों की शान
रचे हर दिन हम नया विधान
बनाएँ हिन्दी को बलवान।

सिमट न जाए इसका ज्ञान
बढ़ाएँ विश्व पटल पर मान
न होगा इसका अब अपमान
बनेगी दुनिया की यह शान

रचयिता
डॉ0 रंजना वर्मा,
प्राथमिक विद्यालय बैलो,
विकास खण्ड-भटहट, 
जनपद-गोरखपुर।

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