माँ मुझको भी पढ़ने दो
माँ मुझको भी पढ़ने दो
इच्छा ये पूरी करने दो
पंख फैलाकर उड़ने दो
हवाओं में रंग भरने दो
माँ मुझको भी पढ़ने दो
शिक्षा का अधिकार है सबका
पर मैं क्यों हूँ वंचित इससे
लड़की हूँ मैं क्या ये क़ुसूर है?
पूछूँ पर मैं ये किससे?
ख़्वाब मेरे भी हैं कुछ मन में
क्यूँ ये जग ना पूरा करने दे
डाल के पैरों में जंज़ीरें
सफर ये तय ना करने दो
लड़का-लड़की एक समान
कहते हैं सब ऐसे बोल
फिर भी हैं करते भेदभाव
बात वचन का ना कोई मोल
नदी अगर हूँ प्रेम की मैं तो
साहस का भी हूँ मैं समन्दर
फूल सी कोमल काया है तो
चट्टानों से दृढ़ संकल्प है अंदर
मौका जो मुझको भी मिले तो
कर सब कुछ दिखलाऊँगी
धरती की तो बात है क्या
नभ पर भी मैं छा जाऊँगी
रचयिता
निधि केडिया,
प्राथमिक विद्यालय फत्तेपुर,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-वाराणसी।
इच्छा ये पूरी करने दो
पंख फैलाकर उड़ने दो
हवाओं में रंग भरने दो
माँ मुझको भी पढ़ने दो
शिक्षा का अधिकार है सबका
पर मैं क्यों हूँ वंचित इससे
लड़की हूँ मैं क्या ये क़ुसूर है?
पूछूँ पर मैं ये किससे?
ख़्वाब मेरे भी हैं कुछ मन में
क्यूँ ये जग ना पूरा करने दे
डाल के पैरों में जंज़ीरें
सफर ये तय ना करने दो
लड़का-लड़की एक समान
कहते हैं सब ऐसे बोल
फिर भी हैं करते भेदभाव
बात वचन का ना कोई मोल
नदी अगर हूँ प्रेम की मैं तो
साहस का भी हूँ मैं समन्दर
फूल सी कोमल काया है तो
चट्टानों से दृढ़ संकल्प है अंदर
मौका जो मुझको भी मिले तो
कर सब कुछ दिखलाऊँगी
धरती की तो बात है क्या
नभ पर भी मैं छा जाऊँगी
रचयिता
निधि केडिया,
प्राथमिक विद्यालय फत्तेपुर,
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-वाराणसी।
Sundar vichar
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