आओ हिंदी से प्यार जतायें
आओ हिंदी का मान बढायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
निज भाषा उन्नति की खान।
निज भाषा सबकी पहचान।।
निज भाषा से ही बढ़ता ज्ञान।
निज भाषा का हो सदा सम्मान।।
हिंदी का ऐसा व्यवहार बढायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
भारत के अंग-अंग समाती।
तप्त हृदय में उमंग बढाती।।
जन मानस की भाषा है जो।
जीवन की अभिलाषा है जो।।
उस हिंदी का इतिहास बतायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
पूर्वजों का जो ज्ञान प्रसाद।
जो अमरत्व का है प्रह्लाद।।
करता आपस में शुभ संवाद।
देता सबको जो आशीर्वाद।।
उसको गले का हार बनायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।
विविध कला शिक्षा ज्योति जो।
है अंतरतम, क्लेश धोती जो।।
जो सभ्यता की ओर मोड़ती।
प्रेम भाव से सबको जोड़ती।।
उस संस्कृत की संस्कृति बतायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
पंजाबी की मस्ती जिसमे।
गुजराती की बस्ती जिसमें।।
जिससे बंगला की है हस्ती।
बहती बन के मराठी कश्ती।।
ऐसे साहित्य का भाव जगायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
सूर, बिहारी, तुलसी, कबीर यह।
तद्भव, तत्सम की तस्वीर यह।।
गौतम बुद्ध सा उपदेश सुनाती।
जो सबके मन को है भाती।।
मधुर, मृदुल भाषा सुर गायें।
आओ, हिंदी से प्यार जतायें।।
अंग्रेजों की ना करो नकल।
अपने वर्तमान को करो सरल।।
सुंदर भविष्य के सपने दो।
हिंदी को और पनपने दो।।
श्याम-मीरा सा जुड़ाव दिखायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
जो जनमत की अविरल गंगा।
जिसमें दिखे ये शान तिरंगा।।
है विश्व के माथे की जो बिंदी।
ऐसी अपनी निज भाषा हिंदी।।
अरुण विश्व पताका लहरायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
रचनाकार----
अरुण कुमार यादव,
उच्च प्राथमिक विद्यालय बरसठी,,
विकास क्षेत्र-बरसठी,
जनपद-जौनपुर।
Mob--9598444853
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
निज भाषा उन्नति की खान।
निज भाषा सबकी पहचान।।
निज भाषा से ही बढ़ता ज्ञान।
निज भाषा का हो सदा सम्मान।।
हिंदी का ऐसा व्यवहार बढायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
भारत के अंग-अंग समाती।
तप्त हृदय में उमंग बढाती।।
जन मानस की भाषा है जो।
जीवन की अभिलाषा है जो।।
उस हिंदी का इतिहास बतायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
पूर्वजों का जो ज्ञान प्रसाद।
जो अमरत्व का है प्रह्लाद।।
करता आपस में शुभ संवाद।
देता सबको जो आशीर्वाद।।
उसको गले का हार बनायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।
विविध कला शिक्षा ज्योति जो।
है अंतरतम, क्लेश धोती जो।।
जो सभ्यता की ओर मोड़ती।
प्रेम भाव से सबको जोड़ती।।
उस संस्कृत की संस्कृति बतायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
पंजाबी की मस्ती जिसमे।
गुजराती की बस्ती जिसमें।।
जिससे बंगला की है हस्ती।
बहती बन के मराठी कश्ती।।
ऐसे साहित्य का भाव जगायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
सूर, बिहारी, तुलसी, कबीर यह।
तद्भव, तत्सम की तस्वीर यह।।
गौतम बुद्ध सा उपदेश सुनाती।
जो सबके मन को है भाती।।
मधुर, मृदुल भाषा सुर गायें।
आओ, हिंदी से प्यार जतायें।।
अंग्रेजों की ना करो नकल।
अपने वर्तमान को करो सरल।।
सुंदर भविष्य के सपने दो।
हिंदी को और पनपने दो।।
श्याम-मीरा सा जुड़ाव दिखायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
जो जनमत की अविरल गंगा।
जिसमें दिखे ये शान तिरंगा।।
है विश्व के माथे की जो बिंदी।
ऐसी अपनी निज भाषा हिंदी।।
अरुण विश्व पताका लहरायें।
आओ हिंदी से प्यार जतायें।।
रचनाकार----
अरुण कुमार यादव,
उच्च प्राथमिक विद्यालय बरसठी,,
विकास क्षेत्र-बरसठी,
जनपद-जौनपुर।
Mob--9598444853
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