काश! मेरी भी माँ होती

मेरी कविता उन बच्चों को समर्पित है जिन बच्चों के पास उन की माँ नहीं होती और वो सोचते हैं कि
 
काश! मेरी भी माँ होती
एक प्यारी बच्ची है ये कहती ....
ममता के आँचल मे वो मुझे झुलाती...
मैं रूठ जाती तो वो मुझे मनाती...
काश! मेरी भी माँ होती
लोरी गाकर वो मुझे सुलाती...
संग मेरे वो हँसती गाती ...
काश! मेरी भी माँ होती
अच्छा बुरा वो मुझे समझाती ....
गलती पर वो डाँट  लगाती ...
काश! मेरी भी माँ होती
मैं भी माँ को गले लगाती...
मैं भी माँ का स्पर्श  समझ पाती ....
काश! मेरी भी माँ होती
     
कभी भी कोई बच्चा माँ से
और 
कोई भी माँ अपने बच्चों से जुदा न हो...

रचयिता
वन्दना गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय विशेषरपुर,
विकास क्षेत्र-भदपुरा,
जनपद-बरेली।

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