मैं जल हूँ
मैं जल हूँ, मैं जल हूँ
मैं सुन्दर कल हूँ।
मैं धरती का श्रृंगार हूँ,
मैं हर जीव का प्राण हूँ।
मैं वर्षा ऋतु का मेघ हूँ,
मैं झरनों की आवाज हूँ।
मैं जीवन की आस हूँ
मै जग का पालन हार हूँ
मेरे बिन तुम सोचो क्या जी पाओगे,
कैसे बचाओगे ये धरा
कैसे अपनी प्यास बुझाओगे।
तरसेंगे एक-एक बूँद को,
त्राहि-त्राहि मचाओगे।
सुधरे अगर नहीं आज तुम,
तो कल बहुत पछताओगे।
मैं जल हूँ, मैं जल हूँ
मैं सुन्दर कल हूँ।
रचयिता
संयोगिता,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अदलपुर,
विकास खण्ड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।
मैं सुन्दर कल हूँ।
मैं धरती का श्रृंगार हूँ,
मैं हर जीव का प्राण हूँ।
मैं वर्षा ऋतु का मेघ हूँ,
मैं झरनों की आवाज हूँ।
मैं जीवन की आस हूँ
मै जग का पालन हार हूँ
मेरे बिन तुम सोचो क्या जी पाओगे,
कैसे बचाओगे ये धरा
कैसे अपनी प्यास बुझाओगे।
तरसेंगे एक-एक बूँद को,
त्राहि-त्राहि मचाओगे।
सुधरे अगर नहीं आज तुम,
तो कल बहुत पछताओगे।
मैं जल हूँ, मैं जल हूँ
मैं सुन्दर कल हूँ।
रचयिता
संयोगिता,
प्रधानध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अदलपुर,
विकास खण्ड-डिलारी,
जनपद-मुरादाबाद।
अतिसुन्दर
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