स्वच्छता

कुछ तुम चलो कुछ हम चलें
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।
जागरूकता को भी हथियार बनायें
स्वच्छ राष्ट्र निर्माण में दो कदम बढ़ायें।
कुछ को हम जगायें कुछ को तुम जगाओ
आओ स्वच्छ भारत के सपने को सफल बनायें।
कुछ तुम चलो कुछ हम चलें
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।
शिष्यों के रग-रग में स्वच्छता का संस्कार भर जाएँ
करें जतन हर गुरुजन स्वच्छता का प्रकाश सब शिष्य मिलकर समाज में फैलायें।
आओ सब मिल कर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।
शिक्षक है राष्ट्र निर्माता हर गुरुजन  यह धर्म निभाये।
कोई जगह न रहने पाये जगह-जगह चमकाएँ।
हो चाहे...
स्वर्ग सा अपना घर                 
माँ सरस्वती का मन्दिर
हो चाहें कोई दफ्तर
चाहें हो कोई शिवाला।
स्वच्छता ही सेवा यह मूल मन्त्र फैलाये।
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।
कूड़ेदान के प्रयोग को जन- जन तक पहुँचायें।
सबसे सुन्दर देश हो अपना
पूरे विश्व भर को दिखलायें।
विश्व गुरु का ख्वाब जो करना है पूरा।
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।
स्वच्छता ही सुखी जीवन की आधारशिला है हर नर-नारी को समझायें।
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।
स्वच्छता के बाधक तत्वों को पहचान कर उस पर रोक लगायें।
आओ सब मिल कर स्वच्छ राष्ट्र बनायें।                                
घर-घर शौचालय पहुँच रहा है
खुले में शौच मुक्त राष्ट्र बनायें
आओ हर नागरिक तक सन्देश यह पहुँचायें
चलो राष्ट्र को स्वच्छ बनायें।
कुछ तुम चलो कुछ हम चलें
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें...।
गंदगी को सड़कों पर मत फेंके
जहाँ-तहाँ भी मत थूकें
सफाई की तरफ एक कदम बढ़ायें
आओ अपने भारत को स्वच्छ बनायें
कुछ तुम चलो कुछ हम चलें
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें...।
स्वच्छता है हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी
सबको निभानी है अपनी-अपनी जिम्मेदारी
पॉलीथीन का हम बहिष्कार करें
स्वच्छ धरा के लिए एक प्रयास करें
कुछ तुम चलो कुछ हम चलें
आओ सब मिलकर स्वच्छ राष्ट्र बनायें....।
  
रचयिता
रवीन्द्र नाथ यादव,
सहायक अध्यापक,  
प्राथमिक विद्यालय कोडार उर्फ़ बघोर नवीन,
विकास क्षेत्र-गोला,
जनपद-गोरखपुर।

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