भगवान विश्वकर्मा
देव शिल्पी
भगवान विश्वकर्मा
निर्माण सृजन के देवता
तुमको करें प्रणाम।।
शिल्प शास्त्र के जनक हैं
विश्वकर्मा है नाम।।
सम्यक सृष्टि सम्यक दृष्टि
अद्भुत कला के दाता।
स्वर्ग, स्वर्णमयी लंका
हस्तिनापुर के तुम निर्माता।
सकल शिल्प, रथ, यान, नगर
आप हैं रचने वाले ।
सृष्टि का उपकार किया
सृष्टि के रखवाले।
भुवना-प्रभास के सुत
बनकर विश्वकर्मा कहलाए।
विविध कलाओं के तुम
कलानिधि कहलाये।
काष्ठकार, लौहकार,
ताम्रकार स्वर्णकार।
पंच सुवन है आपके
पाँचवें कुम्भकार।।
पाँचों गुण ग्राही जगत के
पाँचों करें विकास।
इनके ही सत्कार्य से
सृष्टि का उल्लास।।
शत-शत अभिनंदन है
तुम्हारा देवशिल्पी गुण धाम।
विश्वकर्मा भगवान को
शत-शत करूँ प्रणाम।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
भगवान विश्वकर्मा
निर्माण सृजन के देवता
तुमको करें प्रणाम।।
शिल्प शास्त्र के जनक हैं
विश्वकर्मा है नाम।।
सम्यक सृष्टि सम्यक दृष्टि
अद्भुत कला के दाता।
स्वर्ग, स्वर्णमयी लंका
हस्तिनापुर के तुम निर्माता।
सकल शिल्प, रथ, यान, नगर
आप हैं रचने वाले ।
सृष्टि का उपकार किया
सृष्टि के रखवाले।
भुवना-प्रभास के सुत
बनकर विश्वकर्मा कहलाए।
विविध कलाओं के तुम
कलानिधि कहलाये।
काष्ठकार, लौहकार,
ताम्रकार स्वर्णकार।
पंच सुवन है आपके
पाँचवें कुम्भकार।।
पाँचों गुण ग्राही जगत के
पाँचों करें विकास।
इनके ही सत्कार्य से
सृष्टि का उल्लास।।
शत-शत अभिनंदन है
तुम्हारा देवशिल्पी गुण धाम।
विश्वकर्मा भगवान को
शत-शत करूँ प्रणाम।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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