जय हिन्दी हमारी

हिन्दी हमारी जय हिन्दी हमारी
वारी-वारी जाऊँ मैं हिन्दी पे वारी

हिन्दी हमारी सबकी है महतारी
हिन्दी हमारी जय हिन्दी हमारी

रसखान हिन्दी के चरण पखारे
तुलसी, कबीर नित आरती उतारे
सूर नित मइया रे मइया पुकारे
महिमा बखानें नित अटल बिहारी

हिन्दी हमारी जय हिन्दी हमारी...

इसके दीवाने सभी ज्ञानी बुद्धिमानी
मीरा की इसमें मुखर हुई वाणी
नेताजी ने इसकी बड़ाई है बखानी
गांधी और नेहरू हैं इसके पुजारी

इसकी सलोनी अति सुखर सुकाठी
तेलगू, तमिल, गुजरात व मराठी
बंगला, असमिया सभी की सहपाठी
देवनागरी में ढली देवों की निखारी

हिन्दी हमारी जय हिन्दी हमारी
वारी वारी जाऊँ मैं हिन्दी पे वारी ।

रचयिता
छवि अग्रवाल,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय बनपुरवा,
काशी विद्यापीठ,
जनपद-वाराणसी।

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