हिन्दी हमारी मातृभाषा
'हि' से हिन्दुस्तानी है,
'न्' से न्यारी बानी है,
'दी' से दीवाना बनाये,
'हिन्दी' सबके मन को भाए
14 सितम्बर उन्नीस सौ उन्चास,
स्वर्णिम अक्षरों का इतिहास,
भारतवर्ष की बनी राजभाषा।
हिन्दी हमारी मातृभाषा।।
हिन्दी गम्भीरता का सागर है,
शब्द अलंकृत करती रस का गागर है,
हिन्दी सरल, जटिल भी जान।
हिन्दी भारत का अभिमान।।
हिन्दी मुखरित जन-जन बानी,
हिन्दी से ही कविता, कहानी,
हिन्दी से सुर, हिन्दी से साज है,
हिन्दी पर हर भारतवासी को नाज़ है,
नेह, दुलार और मान की दाता,
कविजन,लेखकों की सम्मान प्रदाता,
गौरवान्वित करती राष्ट्र की भाषा।
हिन्दी हमारी मातृभाषा।।
रचयिता
अभिनेन्द्र प्रताप सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय शाहपुर टिकरी,
विकास क्षेत्र-मंझनपुर,
जनपद-कौशाम्बी।
'न्' से न्यारी बानी है,
'दी' से दीवाना बनाये,
'हिन्दी' सबके मन को भाए
14 सितम्बर उन्नीस सौ उन्चास,
स्वर्णिम अक्षरों का इतिहास,
भारतवर्ष की बनी राजभाषा।
हिन्दी हमारी मातृभाषा।।
हिन्दी गम्भीरता का सागर है,
शब्द अलंकृत करती रस का गागर है,
हिन्दी सरल, जटिल भी जान।
हिन्दी भारत का अभिमान।।
हिन्दी मुखरित जन-जन बानी,
हिन्दी से ही कविता, कहानी,
हिन्दी से सुर, हिन्दी से साज है,
हिन्दी पर हर भारतवासी को नाज़ है,
नेह, दुलार और मान की दाता,
कविजन,लेखकों की सम्मान प्रदाता,
गौरवान्वित करती राष्ट्र की भाषा।
हिन्दी हमारी मातृभाषा।।
रचयिता
अभिनेन्द्र प्रताप सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय शाहपुर टिकरी,
विकास क्षेत्र-मंझनपुर,
जनपद-कौशाम्बी।
सुन्दर और ज्ञानयुक्त रचना अभिनेन्द्र जी,बधाई।।।
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद अग्रज
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