गणतंत्र दिवस
लोकतंत्र की नीवं का ये दिन, जिसने था इतिहास रचाया
समय का पहिया फिर से देखो पावन दिन ये लेकर आया
पूर्ण स्वराज की अमिट इकाई के स्वरूप जब भारत आया
तब हमने मिलकर इस दिन को एक राष्ट्रीय पर्व बनाया
पूर्ण स्वराज के सपने को जिन हाथों ने सच कर दिखलाया
गणतंत्र दिवस का दिन देखो, अपना इतिहास सुनाने आया
आज का दिन था, सन 50 जब मैं अपने अस्तित्व में आया
बाबा साहब से जन्मा, संविधान था मेरा नाम कहाया
संविधान सभा था मेरा आँगन, जहाँ जन्म था मैंने पाया
लोकतंत्र और प्रजातंत्र जैसे गुण धर्म को मैंने अपनाया
बाबा, नेहरू, वल्लभ भाई, मौलाना ने मुझे सजाया
जाति व धर्म का भेदभाव, ये सब कभी ना मुझको भाया
मूल बना जब मेरा तब 22 भागों में मुझे बनाया
अनुच्छेदों से हुआ अलंकृत, 8 अनुसूची को पाया
बढ़ते-बढ़ते, चलते-चलते साल 72 बीत गए
लोकतंत्र और प्रजातंत्र से मैंने हिन्दुस्तान बनाया
सभी धर्म, समरसता को आओ सब मिलजुल कर अपनाएँ
गर्व करें, जय हिन्द कहें गणतंत्र दिवस का पर्व मनाएँ।
रचयिता
शीतल सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनोरा,
विकास खण्ड व जनपद-हापुड़।
Waw great Creation
ReplyDeleteThankyou
ReplyDeletegreat work ma'am
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