बेटी एक गौरव
प्यार भरा एक गीत है बेटी,
जीवन का संगीत है बेटी।
बेटी जैसे शीतल बयार,
बेटी जैसे रिमझिम फुहार,
जो महकाए घर का आँगन।
वो खिली एक बहार,
एक सुहाना मौसम जैसे,
ऐसे मन का मीत है बेटी,
बेटी काजल, बेटी कंगना,
बेटी मंदिर, बेटी अंगना।
बेटी से संसार है अपना,
बेटी से ही हर एक सपना,
सार रंगों का इन्द्रधनुष,
जीवन भर की प्रीत है बेटी।
बेटी है एक गौरव गाथा,
बेटी है तो सब जग जीता,
संस्कारों की डोर बँधी,
जैसे पावन रीत है बेटी।।
रचयिता
शिल्पी गोयल,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय निज़ामपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जिला-बुलंदशहर।
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