महानायक वीर सुभाष

अंग्रेजों की जड़ें हिलीं, जब शूरवीर ने दी ललकार।

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


बड़े पदों को ठुकराया, अंग्रेजों के सेवक न बने।

देश में रहके देश विरोधी, कपटी आखेटक न बने। 

पद त्यागा लोकसेवक का, दासता की बेड़ी दी उतार। 

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


जनप्रिय नायक नेताजी, जब कांग्रेस अध्यक्ष हुए।

इकतरफा था चुनाव वो, जननायक के सब पक्ष हुए।

त्याग दिया वह पद भी तत्क्षण, जीत के भी स्वीकारी हार।

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


महात्मा थे शांत भावमय, श्वेत कमल सा रूप धरे।

पर आज़ादी की ज्वालाएँ, हृदय कुंड में थे वो भरे।

आज़ाद हिंद फौज बनाई, जापान से भरी हुंकार। 

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


खून के बदले आज़ादी का, दिया देश को सत्य वचन।

देश की खातिर सच्चे सेवक, निकले सर पर बाँध कफ़न।

दाँत किए खट्टे दुश्मन के, विजयी रथ पे थे वो सवार।

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


था दुर्भाग्यपूर्ण दिवस वो, हो गया था क्षतिग्रस्त विमान।

नेताजी को लेकर जिसको, पूरा करना था अभियान।

सूचना तो थी मृत्यु की, पर संशय में ही रहा ये विचार।

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


देकर अपना तन-मन-धन, अंग्रेजों को कमजोर किया।

अब वो हुकूमत कर न सकेंगे, सोचने को मजबूर किया।

युद्ध के अपराधी सा जीवन, देशभक्ति का था उपहार।

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


भूल गया यह देश उन्हें, जश्ने आज़ादी मना भरपूर।

गुमनाम हुआ रोशन तारा, हो हर यश गौरव से दूर।

पूजन योग्य महानायक का, देश पे है सम्मान उधार।

वीर सुभाष हिन्द के नायक, नमन करें हम बारंबार।


रचयिता
दीप्ति सक्सेना,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटसारी,
विकास खण्ड-आलमपुर जाफराबाद,
जनपद-बरेली।



Comments

  1. धन्यवाद संपादक महोदय

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