बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।
कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाओ।
बेटी-बेटे का भेदभाव मिटाओ।
राष्ट्रीय बालिका दिवस सार्थक बनाओ।
बालिकाओं को स्वस्थ सुरक्षित मिले वातावरण।
2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने,
राष्ट्रीय बालिका दिवस का किया आयोजन।
सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो,
जन जागरूकता हेतु चलाए कार्यक्रम।
देवी दुर्गा को कन्या रूप में पूजे हर काज।
बेटी घर में पैदा होती, उसे माने अभिशाप।
सोनोग्राफी वरदान मान, करते कन्या भ्रूण हत्या पाप।
कन्या को न मारें, कन्या की शक्ति को जानें माँ-बाप।
पढ़ी-लिखी लड़की घर की रोशनी होती।
बेटी भी अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रचती।
चाहें घर हो या उद्योग, खेल हो या राजनीति,
सेना में भी शौर्य दिखा, बेटियाँ हर क्षेत्र में आगे बढ़तीं।
बेटी-बेटा के भेदभाव को मन से निकालो।
बेटे की तरह ही सब अपनी बेटी भी पालो।
मत समझो बेटा ही बुढ़ापे का है सहारा।
बेटी ने भी बेटे की तरह सब कुछ है वारा।
मत मानो बेटा मुखाग्नि दे, होंगे पूरे कर्मकांड।
रूढ़िवादिता को छोड़ो, दोनों हैं एक समान।
भेदभाव मिटाकर बेटी को भी दो सम्मान।
बेटा माँ-बाप का दिल और बेटी होती है जान।
बेटी पैदा होते ही हो जाता, शादी खर्चे का डर।
ये दहेज प्रथा, असुरक्षा और उत्पीड़न का डर।
हर घर में है बेटी एक आएगी एक जाएगी दूजे घर ।
हम ही लगा सकते हैं रोक इन रूढ़िवादिताओं पर।
24 जनवरी महिला शक्ति इंदिरा जी प्रधानमंत्री बनीं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए ये शुभ तिथि चुनी।
कन्या शक्ति को जानें सब, इस दिवस की प्रक्रिया बुनी।
दिवस सार्थक बनाओ, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ थीम चुनी।
रचयिता
रीना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सालेहनगर,
विकास क्षेत्र-जानी,
जनपद-मेरठ।
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