मेरा सपना

गांधी जी ने देखा सपना

आने वाले भारत का

आजादी के बाद मिला

जो भारत उसे सजाने का

भूख, गरीबी और तंगहाली

कहीं नजर न आयेगी

ज्ञान की ज्योति जगमग जगमग

भारत को चमकाएगी

उन्नत होगा भाल देश का

जग में नाम कमाएँगे

धर्म जाति और लिंग भेद 

भारत से दूर भगाएँगे

सत्तर दशक बीत गए

पर सपना न साकार हुआ

निज स्वार्थ और भ्रष्टाचार का

देश में विस्तार हुआ


मैंने भी एक सपना देखा

भारत की खुशहाली का

छोटा-सा एक बीज है बोया

मन में देश की सेवा का

ठान लिया है मैंने अपने

सारे फर्ज निभाऊँगा

अधिकार माँगने से पहले

अपना कर्तव्य निभाऊँगा

जब अधिकारों से पहले

अपना कर्तव्य निभाएँगे

शायद तब ही हम अपने

सपनों का भारत पाएँगे


रचयिता

शालिनी शर्मा,

सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छापुर,
विकास खण्ड-भगवानपुर,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews