आन तिरंगा
आन तिरंगा बान तिरंगा
हम सब की है शान तिरंगा
दिल मे बसे तू धड़कन सा
आती जाती साँसों को देता
जीने का पैगाम तिरंगा।।
शान ना तेरी जाने देंगे
हर दम हम ये दम भरते हैं।
तू हर पल है अभिमान मेरा
इतिहास है तू सम्मान भरा।।
एक-एक पल का साक्षी है तू
बलिदान है तू, कुर्बान है तू
तेरी खातिर जो सूली थे चढ़े
उनकी आँखों का नूर है तू।।
भारत माँ के तन पे जो सजे
ऐसा सुंदर उपहार है तू
तुझसे सजकर जो इतराये
दुल्हन का सिंगार है तू।।
बलिदानों की गाथा में तू
वीरों के ओज की भाषा तू
रग-रग में जोश भर सबके
वो अमर प्रेम की कथा है तू।।
शौर्य और प्रताप है तू
आजादी वाला ख्वाब है तू
हिमालय का सरताज है तू
गंगा में छुपा विश्वास है तू।।
धरती माँ के आंचल में सजा
झिलमिल तारों का ताज है तू।
केसरिया धानी श्वेत वर्ण
कस्तूरी में छुपा महकास है तू।
है नमन तुझे हम सबका सदा
लहराता रहे इठलाता रहे
हर हिंदुस्तानी के दिल में
तेरा रूप सदा मुस्काता रहे।।
रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।
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