भारतीय होने का गर्व हमारा गणतंत्र पर्व

भारत की आन बान, अभिमान तिरंगा प्यारा है।

शुभ गणतंत्र दिवस पर इसने, नभ का भाल दुलारा है।


आज बना था देश संप्रभु, संविधान अपनाया था।

द्वार खुला तब नवयुग का, नव पदचिन्ह भी बनाया था।

सत्यमेव जयते अनुगामी, जग ने हमें स्वीकारा है।

भारतवर्ष की आन बान, अभिमान तिरंगा प्यारा है।


कर्तव्यों की सीख मिली, अधिकारों का हथियार मिला।

खुले गगन में साँस मिली और वाणी को उद्गार मिला।

है गणतंत्र यहाँ प्रति पग, समभाव की बहती धारा है।

भारतवर्ष की आन बान, अभिमान तिरंगा प्यारा है।


शोभा आज राजपथ की, अति विस्मित करने वाली है।

कदमताल करती सेना, पुरजोश बनाने वाली है।

अमर जवान ज्योति तीरथ सम, झुकता शीश हमारा है।

भारतवर्ष की आन बान, अभिमान तिरंगा प्यारा है।


विविध प्रदेशों की झाँकी, समृद्ध संस्कृति दिखलाती।

फूल अनेक उपवन है एक, गाथा एका की बतलाती।

भारतीय होने का गर्व, गणतंत्र का पर्व हमारा है।

भारतवर्ष की आन बान, अभिमान तिरंगा प्यारा है।


रहे हमारा ध्येय यही, फिर देश विश्वगुरु कहलाये।

स्वार्थ भावना देशभक्ति के, आगे बड़ी न हो पाये।

झुके नहीं सम्मान देश का, दिल ने यही पुकारा है।

भारतवर्ष की आन बान, अभिमान तिरंगा प्यारा है।


रचयिता
दीप्ति सक्सेना,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटसारी,
विकास खण्ड-आलमपुर जाफराबाद,
जनपद-बरेली।



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