राष्ट्रीय बालिका दिवस
मैं बेटी मेरे आँगन की,
कभी धूप खिली कभी सावन सी।
सारे भावों से भरी हुई,
निर्मल मन पतित पावन सी।।
हूँ ऊँच-नीच से परे सदा,
कुल का अभिमान बनूँ मैं सदा।
बेटों से कमतर मत आँको,
बेटी हूँ मुझे तुम मत जाँचो।।
इतिहास की गाथा मुझसे है,
झूला सावन का मुझसे है।
दुल्हन सा सजेगा जो अँगना,
रौनक भी उसी की मुझसे है।।
हूँ ख्वाहिशों से भरी हुई,
लिख दूँ मैं भी एक दास्ताँ।
दो पंख मुझे भी उड़ने को,
छू लूँ में फैला आसमाँ।।
रचयिता
अंशिका शर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय नौजरपुर,
विकास खण्ड-निधौली कलाँ,
जनपद-एटा।
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