पंजाब केसरी- लाजपत राय
28 जनवरी को पंजाब में चमका एक सितारा,
स्वतंत्रता संग्राम में अर्पित जीवन सारा।
पंजाब केसरी नाम से इनको जाना जाता,
राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल का सहारा।।
लाल बाल पाल का नाम इन्होंने पाया,
1928 में साइमन कमीशन का विरोध जताया।
लाठीचार्ज में हुए घायल, साहस न छोड़ा,
पूर्ण स्वतंत्रता की माँग को बार-बार दोहराया।।
ब्रिटिश की एक-एक लाठी बनी ताबूत की कील,
अंग्रेजों ने ना समझने की बहुत बड़ी की भूल।
शिवाजी, कृष्ण, महापुरुषों की जीवनियाँ लिखीं,
प्रभावशाली नेतृत्व को माना सबसे मूल।।
हिंदी लागू करने को हस्ताक्षर अभियान चलाया,
17 नवंबर 1928 को काल के गाल समाया।
रोहतक और हिसार में वकालत भी आजमाया,
मौत का बदला देशभक्तों ने लेकर ही दिखलाया।।
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