जय जय गणेश
जय जय जय गौरी नंदन,
सुखदाता तुम दुःख भंजन।
वक्रतुंड तुम हो एकदन्ता,
सकल सृष्टि के तुम नियंता।।
लंबोदर तुम, हो ज्ञानी वरदाता,
शुभ कार्य में, तू प्रथम पूजाता।
मोदक के भोग लगाते गजानन,
चतुर्भुज तुम, मनमोहक आनन।।
रिद्धि-सिद्धि संग घर में पधारो,
भवसागर से नाथ हमें उबारो।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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