राष्ट्रीय बालिका दिवस
शक्ति की पुँज है वो,
ज्ञान का सागर भी हैं।
बेटियाँ अब न्यून नहीं किसी से,
सर्व गुणों में आगर भी हैं।
अवनी से नभ तक पताका,
उत्कृष्टता की इनकी फहरा रही।
अवलम्बन मिले गर इन्हें स्नेह का,
सिद्ध करती स्वयं को दिशाएँ बता रहीं।
सृष्टि की सर्जना से इति तक,
स्त्रियों से सुसज्जित संसार है।
समर्थवान स्त्रियों के निर्माण में,
सशक्त बेटियाँ ही आधार हैं।
भीष्म प्रतिज्ञ हो सभी को,
आज मन मे ये ठानना है।
सर्वगुणसम्पन्न रूप में विकसित कर
पुत्र सम ही इन्हें मानना है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस तो आता,
केवल 24 जनवरी को वर्ष में एक बार।
किन्तु बालिका उन्नति हेतु,
हमको रहना प्रतिक्षण तैयार।
रचयिता
डॉ0 अनुराग पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय औरोतहरपुर,
विकास खण्ड-ककवन,
जनपद-कानपुर नगर।
Very good
ReplyDelete