सुभाष चंद्र बोस -एक व्यक्तित्व

जनवरी 23 1897 को जन्मा माँ भारती का लाल,

पिता जानकीनाथ माँ प्रभावती का था नवम बाल।


देशभक्ति की लौ बचपन से ही रही मुखर,

चाह थी बस स्वतंत्रता, एक ही थी डगर।


गांधी टैगोर से प्रेरणा पाई कूद गये संग्राम में,

चले झूमते मतवाले स्वराज दिल में, जहान में।


जलियांवाला कांड ने मोड़ दी चिंतन की दिशा,

द्रवित हुए देखकर देशवासियों की दयनीय दशा।


स्वाधीनता के वीर सेनानी स्मरण करें तुम्हें आज,

तन मन निछावर किया तुमने बचाने भारत माँ की लाज।


आजाद हिंद फौज का गठन किया, जता दिया,

अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा उनको डरा दिया।


देश में होगा आजाद तब तक दम नहीं लूँगा,

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा।


रुकना मेरा काम नहीं, चलना मेरी शान,

जन-जन को प्रेरित करूँगा रुकेगा न ये अभियान।


साहस, शक्ति, शौर्य का था अदम्य संयोग,

श्रद्धा सुमन करे अर्पण, पराक्रम दिवस सम्मान योग्य।


आज फिर लहू के लिए आवाज उठाना चाहिए,

आज देश को फिर सुभाष चंद्र बोस मिलना चाहिए।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

Comments

Total Pageviews