बेटियाँ
ईश्वर की अनुपम कृति, वरदान हैं बेटियाँ
घर की मर्यादा, पिता का मान हैं बेटियाँ
दो कुल की वह, हैं लाज रखती
परंपरा निर्वाह की, पहचान हैं बेटियाँ
घर-घर में चहके, गुड़िया बन वो,
सुनहरे सपने की, अरमान हैं बेटियाँ
करुणा, प्रेम, दया, सहनशीलता लिये
अम्बर तक भरती उड़ान हैं बेटियाँ
अपाला, गार्गी, कल्पना, मैरीकॉम बन
जन मन में बसतीं, अभियान हैं बेटियाँ
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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