नेताजी तुम्हें नमन

है नमन तुम्हें नमन,

नेताजी तुम्हें नमन।

माँ भारती के लाल को,

शत-शत बार है नमन।


रग-रग में देशभक्ति की,

रसधार है बहे।

सुभाष तेरी वीरता का,

कोई सार क्या कहे?


ना रास आई तुमको,

गुलामी देश की।

की कल्पना थी तुमने,

आज़ाद देश की।


जलियांवाला कांड,

दहला गया तुम्हें।

जीने का नया लक्ष्य,

बता गया तुम्हें।


बस रक्त मुझे दे दो,

आज़ादी मैं दूँगा।

आज़ाद होगी माता,

मैं दम तभी लूँगा।


है डर नहीं मुझे किसी,

माई के लाल का।

है दूध पिया मैंने भी,

अपनी मात का।


डाले जो नज़र बुरी,

निकालूँ आँख वो।

छुए जो माँ का आँचल,

मैं काटूँ हाथ वो।


जय हिन्द मेरा नारा है,

और हिन्द मेरी जान।

बहाके रक्त अपना,

बचाऊँ इसकी शान।


आज़ाद हिंद फौज के,

हम जवान हैं।

माँ भारती की रक्षा को,

लुटाते जान हैं


फिरंगियों उनकी हम,

औकात बताएँगे।

दुश्मनों का चीर सीना,

अपना दम दिखाएँगे।


सुभाष क्या खूब थी,

तेरी हर अदा।

गाथा तुम्हारे शौर्य की,

रहेगी अमर सदा।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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