बापू के सपनों का भारत

गांधी सा बनना चाहो अगर

हिंसा की छोडो नीच डगर, 

पाखंड, झूठ, छल, दम्भ, द्वेष

खुद में आये न कहीं नज़र,, 


बापू के सपनों का भारत

तुम गढे़ चलो, तुम गढे़ चलो, 

नव भारत निर्माण हेतु

तुम बढे़ चलो तुम बढे़ चलो,, 


सपना था भारत स्वच्छ रहे

हर घर शौचालय कक्ष रहे, 

अपने कुटीर उद्योगों में

जनता सदैव ही व्यस्त रहे,, 


तुम डरो न उन गद्दारों से

अपने स्वदेश का मान रखो, 

जब तक इस तन में जान रहे

खादी का तिरंगा तान रखो,, 


धन्य महात्मा वेश हुआ

प्राणों से प्यारा देश हुआ, 

कितने सम्मान मिले फिर भी

दूजा कोई न वेश हुआ,, 


एक धोती लकुटी वाले नें

पूरा ही देश बदल डाला, 

भारत स्वतंत्र चहुँओर रहे

ऐसा परिवेश बना डाला,, 


पापकर्म बढ़ जाए जब, तुम

प्रेम शक्ति सौ गुनी करो, 

ब्रिटिश राज्य, शासन सत्ता

छोडे़ कैसे, तुम करो या मरो,, 


एक राष्ट्र की संस्कृति हो

आत्मा और दिल में वास रहे, 

हिंदी में सब संस्कार मिलें

मानव से मानव हिले मिले,,


हाड़ मांस के पुतले को

"टैगोर, "महात्मा" कह डाले, 

"राष्ट्रपिता" बापू  सबके

रघुपति राघव, लाठी वाले,, 


रचयिता
रीता गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कलेक्टर पुरवा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।




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