एक प्यारा सा गाँव
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।
जहाँ माँ की ममता,
और पेड़ों की छाँव है।।
दिखती सदा खेतों में,
हर्षित सुहानी हरियाली।
अभावों में भी यहाँ,
घरों में सबके खुशहाली।।
अनेक रंगों के पशु-पक्षी,
लोगों को इनसे लगाव है।
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।।
हरे भरे ये बाग बागीचे,
जहाँ पक्षियों का पड़ाव है।
लोगों का अन्दाज नया है,
चेहरे पर तनिक न तनाव है।
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।।
सबका करते सम्मान यहाँ,
जहाँ स्वार्थपरता का अभाव है।
मनाते रोज दीवाली व होली,
समरसता का दिल में भाव हेै।
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।।
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।
एक प्यारा सा गाँव है।
जहाँ माँ की ममता,
और पेड़ों की छाँव है।।
दिखती सदा खेतों में,
हर्षित सुहानी हरियाली।
अभावों में भी यहाँ,
घरों में सबके खुशहाली।।
अनेक रंगों के पशु-पक्षी,
लोगों को इनसे लगाव है।
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।।
हरे भरे ये बाग बागीचे,
जहाँ पक्षियों का पड़ाव है।
लोगों का अन्दाज नया है,
चेहरे पर तनिक न तनाव है।
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।।
सबका करते सम्मान यहाँ,
जहाँ स्वार्थपरता का अभाव है।
मनाते रोज दीवाली व होली,
समरसता का दिल में भाव हेै।
कितना सुन्दर यह मेरा,
एक प्यारा सा गाँव है।।
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।
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