परिषदीय स्कूलों के बच्चे

हम हैं परिषदीय स्कूलों के बच्चे
होते  हम मन के भोले औ सच्चे

माँ बाप सुबह  काम पर जाते
भटके हुए हम स्कूल हैं आते
स्कूल में पाते प्यार औ सम्मान
स्कूल में बसती है हमारी जान

हम हैं..............................
होते हैं..............................

यहाँ किताबें हमको मिलतीं
स्वेटर और ड्रेस भी  बँटती
अब जूता मोजा बढ़ाये शान
स्कूल में बसती है हमारी जान

हम हैं...........................
होते हैं.........................

रोज गरम खाना आ जाता
हम मासूमों की भूख मिटाता
फल दूध लाये जान में जान
स्कूल में बसती है हमारी जान

हम हैं..........................
होते हैं.........................

मैडम औ सर का क्या कहना
जैसे मिले हों बड़े भाई बहना
देते हैं हर रोज नया सा ज्ञान
स्कूल में बसती है हमारी जान

हम हैं............................
होते हैं...........................

खेल कूद संग .....पाठ पढ़ाते
हर रोज हमें कुछ नया सिखाते
बन गई है हमारी भी  पहचान
स्कूल में बसती है हमारी जान

हम हैं.......................
होते हैं......................

स्कूल का आँगन घर जैसा
कुछ भी नहीं यहाँ डर जैसा
करते हैं हम नित गुणगान
स्कूल में बसती है हमारी जान

हम हैं.......................
होते हैं..........................

रचयिता
डा0 रश्मि दुबे,
प्राथमिक विद्यालय उस्मान गढ़ी,
जनपद-गाजियाबाद

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