मेरे प्यारे वतन
मेरे प्यारे वतन, मेरे प्यारे वतन
तेरे शहीदों को मेरा शत-शत नमन।
जिसको सींचा शहीदों ने है प्यार से,
हसीं मेरे भारत का, है वो चमन।
सांस लेते हैं आज, आजादी से जो
ये तो शहीदों का, ही है करम।
घर उजडे़ हजारों, सुनी माँगें हुईं
कितने अपनों को भी,
मिल सका ना कफन।
जुल्म सहकर हमें बस, सुख है दिया
सह गए अपनी काया पे कितने सितम।
याद रखेगा जमाना सदा ही उन्हें
गवाही शहादत की देते ये गंगो -जमन।
जर्रा -जर्रा मिट्टी का अनमोल है
कहानी शहीदों की इनमें, कहीं है दफन।
मेरे प्यारे वतन...............
आज लड़ते झगड़ते, मजहब पे हम
इनकी जाति वतन, इनका न कोई धरम।
शहादत को गुजरे एक अरसा हुआ,
आज भी याद करके भीग जाते नयन।
मेरे प्यारे वतन.............
रचयिता
फसहत रूही,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय डिडौरा,
विकास क्षेत्र-मुरादाबाद,
जनपद-मुरादाबाद।
तेरे शहीदों को मेरा शत-शत नमन।
जिसको सींचा शहीदों ने है प्यार से,
हसीं मेरे भारत का, है वो चमन।
सांस लेते हैं आज, आजादी से जो
ये तो शहीदों का, ही है करम।
घर उजडे़ हजारों, सुनी माँगें हुईं
कितने अपनों को भी,
मिल सका ना कफन।
जुल्म सहकर हमें बस, सुख है दिया
सह गए अपनी काया पे कितने सितम।
याद रखेगा जमाना सदा ही उन्हें
गवाही शहादत की देते ये गंगो -जमन।
जर्रा -जर्रा मिट्टी का अनमोल है
कहानी शहीदों की इनमें, कहीं है दफन।
मेरे प्यारे वतन...............
आज लड़ते झगड़ते, मजहब पे हम
इनकी जाति वतन, इनका न कोई धरम।
शहादत को गुजरे एक अरसा हुआ,
आज भी याद करके भीग जाते नयन।
मेरे प्यारे वतन.............
रचयिता
फसहत रूही,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय डिडौरा,
विकास क्षेत्र-मुरादाबाद,
जनपद-मुरादाबाद।
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