होली का त्यौहार

गुलाल की बौछार
पिचकारी की धार ।
गुझिया की मिठास
रिश्तों में भरे  प्यार ।।

होलिका  का  संहार
जीते प्रहलाद कुमार ।
बुराई का होता अंत
कहें होली का त्यौहार ।।

छाया रंगों का शुमार
लाया प्रेम की फुहार ।
बसंती टेशू - पलाश
रंग का  चढ़ा खुमार ।।

ढोल-मांदल बजे द्वार
देने  खुशियाँ   अपार ।
सदा  मुस्कराते   रहो
कहें होली का त्यौहार ।।

बहे भाईचारे की बयार
मिसाल दे सारा संसार ।
बस यहीं शुभकामनाएँ
गोपाल की करो स्वीकार ।।

रचयिता
गोपाल कौशल
नागदा जिला धार मध्यप्रदेश
99814-67300
रोज एक - नई कविता 
02-03-2018

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