नारी
नारी तुम हो अस्तित्व जगत की ,
फिर क्यों तुम पर अत्याचार यहाँ ,
तुम सबला बन, अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन ...
तुम जग जननी जीवन दायिनी ,
तुम से जीवन, जीवन तुम में,
तेरे से ही दुनिया चलती,
फिर क्यों तुझ पर अत्याचार यहाँ।
तुम सबला बन , अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन, खुद मे ला एक परिवर्तन ...
तुम सत्यवादिनी मधुरभाषिनी ,
तुम मे सागर जैसी गहराई,
पीयूष स्रोत सी तुम बहती हो,
धरती जैसी ठहराई ।
तुम हो सर्वगुण सम्पन्न,
फिर क्यों तुम पर अत्याचार यहाँ।
तुम सबला बन, अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन.....
तुम मार्ग दार्शिका, पथ प्रदर्शिता,
कर्तव्यनिष्ठता कर्तव्यपरायणता,
ममतामयी सरल स्वभाव है,
कोमल छवि तुम्हारी है,
तुम हो विधाता इस समाज की,
फिर क्यों तुम पर अत्याचार यहाँ ।
तुम सबला बन , अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन....
तुमने बहुत कर्तव्य निभाये,
अब अधिकार अपना समझो तुम ,
लक्ष्मी बाई पद्मावती बन,
अधिपत्य अपना जताओ तुम,
अधिकार मगाने से न मिलता ,
उसको छीन दिखाओ तुम,
आधुनिक युग की नारी हो तुम,
क्यो सहोगी अत्याचार यहाँ ।
तुम सबला बन, अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन.......
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
फिर क्यों तुम पर अत्याचार यहाँ ,
तुम सबला बन, अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन ...
तुम जग जननी जीवन दायिनी ,
तुम से जीवन, जीवन तुम में,
तेरे से ही दुनिया चलती,
फिर क्यों तुझ पर अत्याचार यहाँ।
तुम सबला बन , अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन, खुद मे ला एक परिवर्तन ...
तुम सत्यवादिनी मधुरभाषिनी ,
तुम मे सागर जैसी गहराई,
पीयूष स्रोत सी तुम बहती हो,
धरती जैसी ठहराई ।
तुम हो सर्वगुण सम्पन्न,
फिर क्यों तुम पर अत्याचार यहाँ।
तुम सबला बन, अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन.....
तुम मार्ग दार्शिका, पथ प्रदर्शिता,
कर्तव्यनिष्ठता कर्तव्यपरायणता,
ममतामयी सरल स्वभाव है,
कोमल छवि तुम्हारी है,
तुम हो विधाता इस समाज की,
फिर क्यों तुम पर अत्याचार यहाँ ।
तुम सबला बन , अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन....
तुमने बहुत कर्तव्य निभाये,
अब अधिकार अपना समझो तुम ,
लक्ष्मी बाई पद्मावती बन,
अधिपत्य अपना जताओ तुम,
अधिकार मगाने से न मिलता ,
उसको छीन दिखाओ तुम,
आधुनिक युग की नारी हो तुम,
क्यो सहोगी अत्याचार यहाँ ।
तुम सबला बन, अबला न बन,
खुद में ला एक परिवर्तन खुद में ला एक परिवर्तन.......
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
Comments
Post a Comment