हे शिक्षक शत-शत प्रणाम
हे शिक्षक तुमको अभिनंदन
वंदन तुमको, तुमको प्रणाम
सृष्टि के रहस्यों के उदघाटक
शत शत प्रणाम-२।।
हर दृष्टि तुम्हारी समतामय
हर कर्म तुम्हारा आभामय
विध्वंस में रचते अमर गान
शत शत प्रणाम-२।।
तुम हो विषाद के संहारक
दुखियों दरिद्र के उद्धारक
तुम राष्ट्र नींव के गढ़ते पत्थर
शत शत प्रणाम-२।।
तम के प्रकाश, मन के उजास
सूखे तृण में जीवन की आस
तुम वृहद मरुस्थल नीर समान
शत शत प्रणाम-२।।
तुम आशा हो,विश्वास तुम्ही
तुम संसारी ,सन्यास तुम्ही
तुझमें सर्वस्व समाहित है
शत शत प्रणाम-२।।
रचयिता
अभिषेक गौरव,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सकरा,
सदर,गाजीपुर।
वंदन तुमको, तुमको प्रणाम
सृष्टि के रहस्यों के उदघाटक
शत शत प्रणाम-२।।
हर दृष्टि तुम्हारी समतामय
हर कर्म तुम्हारा आभामय
विध्वंस में रचते अमर गान
शत शत प्रणाम-२।।
तुम हो विषाद के संहारक
दुखियों दरिद्र के उद्धारक
तुम राष्ट्र नींव के गढ़ते पत्थर
शत शत प्रणाम-२।।
तम के प्रकाश, मन के उजास
सूखे तृण में जीवन की आस
तुम वृहद मरुस्थल नीर समान
शत शत प्रणाम-२।।
तुम आशा हो,विश्वास तुम्ही
तुम संसारी ,सन्यास तुम्ही
तुझमें सर्वस्व समाहित है
शत शत प्रणाम-२।।
रचयिता
अभिषेक गौरव,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सकरा,
सदर,गाजीपुर।
Comments
Post a Comment