फिर से है टूटा एक तारा

 फिर से है टूटा एक तारा
 निस्सीम् वृहद् फैले अम्बर पर
सीधी सी एक रेखा बनकर,
लुप्त हो जाता है कहीं....
चमकता एक सितारा
फिर  से है टूटा एक तारा।।

क्या शोक करूँ क्या रुदन करूँ,
  या अश्रु बहाकर क्रंदन करूँ
प्रकृति का ये खेल अजब,
क्षण भर में होता अंत हमारा।
फिर से है टूटा एक तारा ।।

यह अक्षमता या पराधीनता
क्रूर कृत्य या निर्बलता,
मिट रहा कोई, है देख रहा
बेबस है तारक दल सारा
फिर से है टूटा एक तारा।।

फिर से है टूटा एक तारा।।।

रचयिता
गीता गुप्ता "मन"
प्राथमिक विद्यालय मढ़िया फकीरन,
विकास क्षेत्र - बावन,
जनपद - हरदोई।


Comments

Total Pageviews

1165019