होली है !

आओ  अबकी होली  में सबको नेह गुलाल उड़ाएँगे ,
जात-पात और ऊँच-नीच छोड़ सबको गले लगाएँगे । 

नीला, पीला, हरा, गुलाबी  कच्चा-पक्का  रंग लिये ,
होली के इस  रास रंग में , हृदय कलश में भरे उंमग ।

रिश्तों को  नव जीवन  देकर , फागुन  खूब मनाएँगे ,
गली-गली   में   खुशियाँ  बाटें, बुराई  दूर  भगाएँगे।

रंगोली त्यौहार सजा के मस्ती में नाचेंगे और गाएँगे ,
रंजो-ग़म धूल  जाये  सब, पिचकारी  ऐसी चलाएँगे।

ढोल मंदृग  की थाप  संग , उड़े अबीर गुलाल गगन ,
कलुष कामनाओं को होलिका में कर दो आज हवन।

रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।

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