कुछ बनो तुम
धरती माँ के फूल बनो तुम ,
मत पैरों की धूल बनो तुम ।
कर्मवीर बन इतिहास बदल दो ,
ना कंटक ना शूल बनो तुम ।
गर्वित हो मस्तक जननी की ,
कूल के ऐसे मूल बनो तुम ।
प्रेम ,दया, करुण बसी हो दिल मे ,
मृदुभाषी समर्पित वसूल बनो तुम ।
धर्म संस्कृति का रक्षक बन अब ,
हर दिल दुआ कबूल बनो तुम ।
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