२१२~ कौसर जहां सिद्दीकी प्रा०वि० बिसरेखी, घोरावल, जनपद- सोनभद्र
💎🏅अनमोल रत्न🏅💎
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से बेसिक शिक्षा की जनपद-सोनभद्र से अनमोल रत्न शिक्षिका बहन कौसर जहां जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और शिक्षा के उत्थान के प्रति समर्पित प्रयासों से एक विद्यालय को शून्य से सम्मानित स्थान तक पहुँचा दिया।
आज जहाँ हमारे कई साथी विद्यालय परिवेश को आकर्षक और सुन्दर बनाना, सरकारी व्यवस्था के प्रतिकूल मानते हैं। उनका कहना होता है कि हम लोगों को सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता पर बात करनी चाहिए। जो पेड़ के नीचे और बोरी पर बैठ कर भी पूरी की जा सकती है। लेकिन आप जैसे अनमोल रत्नों ने यह प्रमाणित कर दिखाया कि वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में सुन्दर और आकर्षक विद्यालय परिवेश भी विद्यालय की प्रगति और शिक्षा की गुणवत्ता में सहायक है। इससे न सिर्फ़ नामांकन में वृद्धि हुई बल्कि बच्चों में ठहराव और अभिभावकों के विश्वास में भी वृद्धि पायी गयी। अभी तक हमने भी कोई ऐसा विद्यालय नहीं पाया जो आकर्षक और सुन्दर होने के साथ न्यूनतम गुणवत्ता स्तर पर काम कर रहा हो।
तो आइये जानते हैं अनमोल रत्न बहन जी के अनमोल विचार और प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2051608681783385&id=1598220847122173
मैं कौसर जहां सिद्दीकी प्रा०वि० बिसरेखी, घोरावल, जनपद- सोनभद्र में दिनांक 17/12/08 से कार्यरत हूँ। मेरी नियुक्ति के समय बच्चों का नामांकन तो अच्छा था पर उपस्थिति एवं ठहराव की समस्या सोचनीय थी और विद्यालय भवन की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।
जब मैं विद्यालय में पहुँची तो वास्तविक स्थिति को समझा व जाना। कक्षा-कक्षों की खिड़कियों में जाली एवं दरवाजे नहीं थे जिसके कारण बच्चे आते तो थे पर जब इच्छा हुई चारों तरफ से खुला होने के कारण चुपचाप भाग भी जाते थे। अध्यापकों में मैं स्वयं और एक शिक्षामित्र ही थे। खिड़कियों में जाली की समस्या सर्वप्रथम मुझे बड़ी समझ आयी। तत्पश्चात मैंने विद्यालय की भौतिक परिवेश को सुधारने का प्रयास करने लगी। क्योंकि मुझे यह अहसास हो गया कि बच्चों एवं अभिभावकों को आकर्षित करने में हमारा भौतिक परिवेश भी अहम भूमिका निभाता है और हमको अपना स्टैण्डर्ड बढ़ाना होगा तब समाज में जो प्राथमिक विद्यालयों की छवि धूमिल हुई है उसको दूर किया जा सकेगा और हमारी स्थिति सम्मान जनक होेगी ।
मैंने स्वयं के प्रयास से विद्यालय भवन के सभी कमरों के खिड़की दरवाजों को सही करवाया। खिड़कियों में जाली लगवाया। विद्यालय में विद्युत व्यवस्था न होने से परेशानी का सामना करना पड़ता था तो विद्यालय में विद्युत व्यवस्था भी सही करवाया।
विद्यालय भवन के फर्श पर पटिया बिछी हुई थी, ऑफिस में भी उसे हटाकर टाइल्स लगवाया।
ऑफिस को सजाया, ऑफिस को सजाने के बाद सारे अभिलेखों को दुरुस्त किया गया। इसके पश्चात बाहर के वातावरण को सुधारने का प्रयास शुरू किया क्योंकि विद्यालय प्रांगण बहुत छोटा है और बरसात में पानी भी भर जाता है। जिससे
बच्चों को आने-जाने में असुविधा होती थी। पूरे ग्राउंड में मिट्टी भरवाकर इंटरलॉकिंग ईंट भी लगवाया। फूलों की क्यारियां के साथ चारों तरफ फूल एवं पेड़ पौधे भी लगाया। अब मेहनत का परिणाम सामने आने लगा है गाँव के लोग जो नुकसान पहुंचाते थे वह भी अब सहयोग करने लगे। बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ने लगी और भागने की समस्या भी दूर हो गई। अब ग्राउंड इतना बड़ा हो गया है कि बच्चे आराम से प्रार्थना और पी०टी० करते हैं, फिर भी जगह बच जाती है, जगह दिखने लगी है। भौतिक परिवेश को सुधारने में पैसा और मेहनत तो लगा पर उसका परिणाम हमारी सोच से भी ज्यादा अच्छा प्राप्त हुआ। नामांकन, उपस्थिति, ठहराव बहुत ही बेहतर हो गया। वर्तमान सत्र में नामांकन 248 है और अभी बढ़ ही रहा है।
👉शिक्षा गुणवत्ता:-
जब बच्चों का ठहराव होने लगा तो शिक्षा गुणवत्ता में भी विकास होने लगा। अध्यापकों की संख्या भी बढ़ गई। इस समय हम लोग विद्यालय में 4 अध्यापक हैं और सब लोग मेहनत और लगन से काम कर रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप विद्यालय के बच्चे ब्लॉक स्तर तक टॉप 5 में रहे हैं। यह सब हम सभी लोगों के प्रयास और आपसी सहयोग से सफल हो पाया है और प्रा०वि० विसरेखी एक सम्मानजनक स्थिति में पहुंच गया है जिसमें गांव, प्रधान, अध्यापक बच्चे, रसोइया सबका पूर्ण योगदान रहा है।
👉योजनाएं:- अभी आगे प्रयासरत हूँ कि प्रा०वि० विसरेखी में अभिभावक अपने बच्चों का नाम लिखते वक्त गर्व की अनुभूति करें न कि मन मे हीन भावना रखें। ग्राम प्रधान के सहयोग से समर्सिबल लग गया है आगे पानी की vip व्यवस्था करनी है और फर्श से पटिया हटाकर टाइल्स लगवाना है क्योंकि हमारी सोच है कि किसी भी मायने में प्राथमिक विद्यालय कॉन्वेंट से कम न रहें। चाहे शैक्षिक गुणवत्ता हो या नैतिक मूल्य। प्राथमिक विद्यालय के बच्चे भी फूल कॉन्फिडेंस में रहे।
जय शिक्षक -जय भारत
बहुत-बहुत धन्यवाद कौसर जी
मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से आपको सहयोगी विद्यालय परिवार सहित उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ हार्दिक शुभकामनाएं!
👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
👫 आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
निवेदन:- मिशन शिक्षण संवाद की समस्त गतिविधियाँ निःशुल्क, स्वैच्छिक एवं स्वयंसेवी हैं। जहाँ हम आप सब मिलकर शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि कहीं कोई लोभ- लालच या पद प्रतिष्ठा की बात कर, अपना व्यापारिक हित साधने की कोशिश कर रहा हो, तो उससे सावधान रह कर टीम मिशन शिक्षण संवाद को मिशन के नम्बर-9458278429 पर अवश्य अवगत करा कर सहयोग करें।
धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
28/03/2018
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आज जहाँ हमारे कई साथी विद्यालय परिवेश को आकर्षक और सुन्दर बनाना, सरकारी व्यवस्था के प्रतिकूल मानते हैं। उनका कहना होता है कि हम लोगों को सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता पर बात करनी चाहिए। जो पेड़ के नीचे और बोरी पर बैठ कर भी पूरी की जा सकती है। लेकिन आप जैसे अनमोल रत्नों ने यह प्रमाणित कर दिखाया कि वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों में सुन्दर और आकर्षक विद्यालय परिवेश भी विद्यालय की प्रगति और शिक्षा की गुणवत्ता में सहायक है। इससे न सिर्फ़ नामांकन में वृद्धि हुई बल्कि बच्चों में ठहराव और अभिभावकों के विश्वास में भी वृद्धि पायी गयी। अभी तक हमने भी कोई ऐसा विद्यालय नहीं पाया जो आकर्षक और सुन्दर होने के साथ न्यूनतम गुणवत्ता स्तर पर काम कर रहा हो।
तो आइये जानते हैं अनमोल रत्न बहन जी के अनमोल विचार और प्रयासों को:-
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मैं कौसर जहां सिद्दीकी प्रा०वि० बिसरेखी, घोरावल, जनपद- सोनभद्र में दिनांक 17/12/08 से कार्यरत हूँ। मेरी नियुक्ति के समय बच्चों का नामांकन तो अच्छा था पर उपस्थिति एवं ठहराव की समस्या सोचनीय थी और विद्यालय भवन की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।
जब मैं विद्यालय में पहुँची तो वास्तविक स्थिति को समझा व जाना। कक्षा-कक्षों की खिड़कियों में जाली एवं दरवाजे नहीं थे जिसके कारण बच्चे आते तो थे पर जब इच्छा हुई चारों तरफ से खुला होने के कारण चुपचाप भाग भी जाते थे। अध्यापकों में मैं स्वयं और एक शिक्षामित्र ही थे। खिड़कियों में जाली की समस्या सर्वप्रथम मुझे बड़ी समझ आयी। तत्पश्चात मैंने विद्यालय की भौतिक परिवेश को सुधारने का प्रयास करने लगी। क्योंकि मुझे यह अहसास हो गया कि बच्चों एवं अभिभावकों को आकर्षित करने में हमारा भौतिक परिवेश भी अहम भूमिका निभाता है और हमको अपना स्टैण्डर्ड बढ़ाना होगा तब समाज में जो प्राथमिक विद्यालयों की छवि धूमिल हुई है उसको दूर किया जा सकेगा और हमारी स्थिति सम्मान जनक होेगी ।
मैंने स्वयं के प्रयास से विद्यालय भवन के सभी कमरों के खिड़की दरवाजों को सही करवाया। खिड़कियों में जाली लगवाया। विद्यालय में विद्युत व्यवस्था न होने से परेशानी का सामना करना पड़ता था तो विद्यालय में विद्युत व्यवस्था भी सही करवाया।
विद्यालय भवन के फर्श पर पटिया बिछी हुई थी, ऑफिस में भी उसे हटाकर टाइल्स लगवाया।
ऑफिस को सजाया, ऑफिस को सजाने के बाद सारे अभिलेखों को दुरुस्त किया गया। इसके पश्चात बाहर के वातावरण को सुधारने का प्रयास शुरू किया क्योंकि विद्यालय प्रांगण बहुत छोटा है और बरसात में पानी भी भर जाता है। जिससे
बच्चों को आने-जाने में असुविधा होती थी। पूरे ग्राउंड में मिट्टी भरवाकर इंटरलॉकिंग ईंट भी लगवाया। फूलों की क्यारियां के साथ चारों तरफ फूल एवं पेड़ पौधे भी लगाया। अब मेहनत का परिणाम सामने आने लगा है गाँव के लोग जो नुकसान पहुंचाते थे वह भी अब सहयोग करने लगे। बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ने लगी और भागने की समस्या भी दूर हो गई। अब ग्राउंड इतना बड़ा हो गया है कि बच्चे आराम से प्रार्थना और पी०टी० करते हैं, फिर भी जगह बच जाती है, जगह दिखने लगी है। भौतिक परिवेश को सुधारने में पैसा और मेहनत तो लगा पर उसका परिणाम हमारी सोच से भी ज्यादा अच्छा प्राप्त हुआ। नामांकन, उपस्थिति, ठहराव बहुत ही बेहतर हो गया। वर्तमान सत्र में नामांकन 248 है और अभी बढ़ ही रहा है।
👉शिक्षा गुणवत्ता:-
जब बच्चों का ठहराव होने लगा तो शिक्षा गुणवत्ता में भी विकास होने लगा। अध्यापकों की संख्या भी बढ़ गई। इस समय हम लोग विद्यालय में 4 अध्यापक हैं और सब लोग मेहनत और लगन से काम कर रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप विद्यालय के बच्चे ब्लॉक स्तर तक टॉप 5 में रहे हैं। यह सब हम सभी लोगों के प्रयास और आपसी सहयोग से सफल हो पाया है और प्रा०वि० विसरेखी एक सम्मानजनक स्थिति में पहुंच गया है जिसमें गांव, प्रधान, अध्यापक बच्चे, रसोइया सबका पूर्ण योगदान रहा है।
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जय शिक्षक -जय भारत
बहुत-बहुत धन्यवाद कौसर जी
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👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
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धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
28/03/2018
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