नन्हें फूल

हम उस बगिया के माली हैं
 जहाँ नन्हें फूल खिलते हैं।

जहाँ  जाति-पाँति का भेद नहीं,
जहाँ उँच नीच मतभेद नहीं।

हम उस बगिया के माली हैं
जहाँ प्यारे फूल खिलते हैं।

कोई नटखट कोई शरारती,
किसी का शांत स्वभाव है।

हम उस बगिया के माली है
जहाँ सारे फूल खिलते हैं।

नन्हे पैरों से चलकर जब वो विद्यालय आते हैं,
अपना अतीत भूलकर हमको गले लगाते हैं।

हम उस बगिया के माली हैं
जहाँ रंग बिरंगे फूल खिलते हैं।

प्यारी मीठी बोली से कान में कुछ कह जाते हैं,
वो तितली बनकर उड़ते हैं हम भी भौरे बन जाते हैं।
        उनकी सपनो की दुनिया में हम भी खो जाते है

हम उस बगिया के माली हैं
जहाँ प्यारे सपने सजते हैं।
               
रचयिता
बिधु सिंह, 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी, 
विकास खण्ड-बिसरख,               
जनपद-गौतमबुद्धनगर।

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