होली आई, होली आई
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।
फाल्गुन के महीने में,
ये त्यौहार रंगों का आता है।
मिलजुल कर रहने का,
हम सबको पाठ सिखाता है।
बदली है प्रकृति ने करवट,
और मौसम ने ली अँगड़ाई।
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।।
कहीं उड़े गुलाल,
कहीं हो रंगों की बौछार।
एक दूजे के गले मिलें सब,
बरसे प्यार की फुहार।
सब खुश होकर झूम रहें हैं,
चहुँओर है मस्ती छाई।
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।।
रंग बिरंगे गुब्बारे,
लगते कितने प्यारे-प्यारे।
मोनू आओ, सोनू आओ,
तुम भी खेलो संग हमारे।
गुझिया, पापड़, हलवा, पूड़ी,
हर चेहरे पर मुस्कान है लाई।
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।।
रचयिता
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।
फाल्गुन के महीने में,
ये त्यौहार रंगों का आता है।
मिलजुल कर रहने का,
हम सबको पाठ सिखाता है।
बदली है प्रकृति ने करवट,
और मौसम ने ली अँगड़ाई।
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।।
कहीं उड़े गुलाल,
कहीं हो रंगों की बौछार।
एक दूजे के गले मिलें सब,
बरसे प्यार की फुहार।
सब खुश होकर झूम रहें हैं,
चहुँओर है मस्ती छाई।
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।।
रंग बिरंगे गुब्बारे,
लगते कितने प्यारे-प्यारे।
मोनू आओ, सोनू आओ,
तुम भी खेलो संग हमारे।
गुझिया, पापड़, हलवा, पूड़ी,
हर चेहरे पर मुस्कान है लाई।
होली आई, होली आई,
संग में खुशियाँ बहुत ही लाई।।
रचयिता
आरती साहू,
सहायक अध्यापक,
प्रा0 वि0 मटिहनियाँ चौधरी,
विकास खण्ड-सदर,
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