अशिक्षा

चौंक उठी वह ऐसे,
जैसे लम्बी नींद से जागी हो।
डॉ0 ने जब पूछा नाम,
जैसे पहेली अनजानी हो।
नाम-वाम हम क्या जाने
इसका कुछ हमको पता नहीं
क्या कहकर तुम्हें बुलाते हैं
इतना ही तो बता सही
बड़ी दूर तक उसने सोचा
भोलेपन से दिया जवाब
छुटपन की यदि बात करूँ
था रानी बिटिया मेरा नाम
सकुचाते-शर्माते वो फिर
इतना और बता पायी
ब्याह हुआ मैं बनी बहू
उनकी बहुरिया कहलायी
डॉ0 भी अब लगे सोचने
पर्चे में क्या नाम लिखूँ
तभी अचानक वो बोली
चंगू , मंगू , जोखू , भीखू
लोग बुलाते हैं अब मुझको
इन बच्चों की अम्मा कहकर
साहब जी कुछ भी लिख लो
इनमें  से  ही  चुनकर।

रचयिता
रेनू अग्रहरि,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अजीजपुर,
जनपद-सुलतानपुर।

Comments

Total Pageviews