नैतिक वर्णमाला
स्वर गीत
अ से अच्छे काम करेंगे,
आ से आपस में ना लड़ेंगे।
इ से इज्जत से जायेंगे,
ई से ईमानदारी से काम करेंगे।
उ से उत्तम कार्य से अपने,
ऊ से ऊँचा जग में नाम करेंगे।
ऋ से ऋषि के गुण अपनाकर,
सबका हम सम्मान करेंगे।
ए से एक हैं एक रहेंगे,
ऐ से ऐतिहासिक बनेंगे।
ओ से ओजस्वी बन करके,
औ से औरों का कल्याण करेंगे।
अं से अंत भला होगा तो,
अः से अःअः, अःअः हँसेंगे।
क से कलम किताब उठाकर,
ख से खूब मेहनत से पढ़ेंगे।
ग से गुणों को हम अपनाकर,
घ से घर को स्वच्छ रखेंगे।
ड़ का घर है खाली,
बच्चों न देना कभी गाली।
च से चंदन सा महकेंगे,
छ से छल हम नहीं करेंगे।
ज से जीवन सादा जीकर,
झ से झूठ हम नहीं कहेंगे।
ञ का घर है खाली ,
बच्चों न देना कभी गाली ।
ट से टाप करने के लिए,
ठ से ठहरा नहीं करेंगे।
ड से डाक्टर बन करके हम,
ढ से ढंग से सेवा करेंगे।
ण का घर है खाली,
बच्चों न देना कभी गाली ।
त से ताकतवर बन करके,
थ से थकान हम दूर करेंगे।
द से दया धर्म अपनाकर,
ध से धर्मकार्य हम किया करेंगे ।
न से नल दे पानी,
बच्चों न करो शैतानी।
प से परिश्रम हम करेंगे,
फ से फल मीठा पायेंगे।
ब से बुद्धिमान बन करके,
भ से भारत का नाम करेंगे।
म से मीठी हो बानी,
बच्चों न करो शैतानी।
य से योग्यता हासिल करके,
र से राष्ट्र की सेवा करेंगे।
ल से लोगों की रक्षा की खातिर,
व से वीर बहादुर बनेंगे।
श से शपथ यह है हमारा,
ष से षड्यंत्र हम दूर करेंगे।
स से सत्य मार्गपर चलकर,
ह से हिंसा से दूर रहेंगे।
क्ष से क्षमा के गुण अपनाकर,
त्र से त्रिलोक में नाम करेंगे।
ज्ञ से ज्ञानी बन करके हम,
ज्ञान विज्ञान की बात करेंगे।
रचयिता
अ से अच्छे काम करेंगे,
आ से आपस में ना लड़ेंगे।
इ से इज्जत से जायेंगे,
ई से ईमानदारी से काम करेंगे।
उ से उत्तम कार्य से अपने,
ऊ से ऊँचा जग में नाम करेंगे।
ऋ से ऋषि के गुण अपनाकर,
सबका हम सम्मान करेंगे।
ए से एक हैं एक रहेंगे,
ऐ से ऐतिहासिक बनेंगे।
ओ से ओजस्वी बन करके,
औ से औरों का कल्याण करेंगे।
अं से अंत भला होगा तो,
अः से अःअः, अःअः हँसेंगे।
क से कलम किताब उठाकर,
ख से खूब मेहनत से पढ़ेंगे।
ग से गुणों को हम अपनाकर,
घ से घर को स्वच्छ रखेंगे।
ड़ का घर है खाली,
बच्चों न देना कभी गाली।
च से चंदन सा महकेंगे,
छ से छल हम नहीं करेंगे।
ज से जीवन सादा जीकर,
झ से झूठ हम नहीं कहेंगे।
ञ का घर है खाली ,
बच्चों न देना कभी गाली ।
ट से टाप करने के लिए,
ठ से ठहरा नहीं करेंगे।
ड से डाक्टर बन करके हम,
ढ से ढंग से सेवा करेंगे।
ण का घर है खाली,
बच्चों न देना कभी गाली ।
त से ताकतवर बन करके,
थ से थकान हम दूर करेंगे।
द से दया धर्म अपनाकर,
ध से धर्मकार्य हम किया करेंगे ।
न से नल दे पानी,
बच्चों न करो शैतानी।
प से परिश्रम हम करेंगे,
फ से फल मीठा पायेंगे।
ब से बुद्धिमान बन करके,
भ से भारत का नाम करेंगे।
म से मीठी हो बानी,
बच्चों न करो शैतानी।
य से योग्यता हासिल करके,
र से राष्ट्र की सेवा करेंगे।
ल से लोगों की रक्षा की खातिर,
व से वीर बहादुर बनेंगे।
श से शपथ यह है हमारा,
ष से षड्यंत्र हम दूर करेंगे।
स से सत्य मार्गपर चलकर,
ह से हिंसा से दूर रहेंगे।
क्ष से क्षमा के गुण अपनाकर,
त्र से त्रिलोक में नाम करेंगे।
ज्ञ से ज्ञानी बन करके हम,
ज्ञान विज्ञान की बात करेंगे।
रचयिता
मनोहर लाल गौतम,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कनिगवाॅ,
विकास खंड -बीसलपुर,
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