प्यारे बच्चे
प्यारे बच्चे -प्यारे बच्चे ,
सारे जग से न्यारे बच्चे ।
खेल-खेल में उछल कूदकर,
घर आंगन को महकाते तुम ।
भोली भोली भाषा में प्रश्न पूछकर ,
हर दिल को चहकाते तुम।।
रोकर भी हँस देते हो तुम ।
गिर जाओ तो फिर उठकर चल देते हो तुम।
बोली तुम सबकी प्यारी सी लगती ।
टोली तुम्हारी सबसे से न्यारी सी लगती ।
मात-पिता की आँख के तारे बच्चे ।
दादा -दादी के होते दुलारे बच्चे ।
प्यारे बच्चे -प्यारे बच्चे,
सारे जग से न्यारे बच्चे।
गाँव पड़ोस का तुम मान बढ़ाओ।
गुरुओं का तुम सम्मान बढ़ाओ।
बिन तुम घर -आँगन सूना सा लगता है ।
जैसे पुष्प बिना बाग बियाबान सा लगता है ।
इस दुनिया को तोहफ़ा होते बच्चे ।
प्यारे बच्चे -प्यारे बच्चे,
सारे जग से न्यारे बच्चे ।
रचयिता
जीतेंद्र प्रताप सिंह (जेपी),
सहायक अध्यापक (विज्ञान),
पूर्व माध्यमिक विद्यालय महेरा,
विकास खण्ड-मुस्करा,
जनपद-हमीरपुर (उ0प्र0)।
सारे जग से न्यारे बच्चे ।
खेल-खेल में उछल कूदकर,
घर आंगन को महकाते तुम ।
भोली भोली भाषा में प्रश्न पूछकर ,
हर दिल को चहकाते तुम।।
रोकर भी हँस देते हो तुम ।
गिर जाओ तो फिर उठकर चल देते हो तुम।
बोली तुम सबकी प्यारी सी लगती ।
टोली तुम्हारी सबसे से न्यारी सी लगती ।
मात-पिता की आँख के तारे बच्चे ।
दादा -दादी के होते दुलारे बच्चे ।
प्यारे बच्चे -प्यारे बच्चे,
सारे जग से न्यारे बच्चे।
गाँव पड़ोस का तुम मान बढ़ाओ।
गुरुओं का तुम सम्मान बढ़ाओ।
बिन तुम घर -आँगन सूना सा लगता है ।
जैसे पुष्प बिना बाग बियाबान सा लगता है ।
इस दुनिया को तोहफ़ा होते बच्चे ।
प्यारे बच्चे -प्यारे बच्चे,
सारे जग से न्यारे बच्चे ।
रचयिता
जीतेंद्र प्रताप सिंह (जेपी),
सहायक अध्यापक (विज्ञान),
पूर्व माध्यमिक विद्यालय महेरा,
विकास खण्ड-मुस्करा,
जनपद-हमीरपुर (उ0प्र0)।
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