वह नन्हा सा पौधा

वह नन्हा सा पौधा,
अब तो बड़ा हुआ,
बाँहें फैलाये वह था,
अब खड़ा हुआ,
मन के प्यारे सुखद मिलन अहसास में,
बात हुई यह अभी इसी मधुमास में।।

मुझसे बोला आओ बैठो छाँव में,
मेरे पल्लव के नीचे इस गाँव में,
मैं मुस्काती उसके नीचे चली गई,
बाँहों में उसके थी मैं तो लिपट गई,
मन के प्यारे सुखद मिलन अहसास में,
बात हुई यह अभी इसी मधुमास में।

निकट खड़ी अमिया थी,प्रिय को देख रही,
"सुंदर यौवना"गहनों से थी लदी हुई,
मैंने उसको देखा वह मुसकाई थी,
मानो मुझसे पूछ रही कब आईं थी,
प्यारा था अहसास,बात थी बड़ी ही न्यारी,
बहुत दिनों के बाद मिलें हैं तुमसे प्यारी,
मन के प्यारे सुखद मिलन अहसास में,
बात हुई यह अभी इसी मधुमास में।
वह नन्हा..................खड़ा हुआ।

रचयिता
मीरा गुप्ता,
(इं0प्र०अ०),
उ०प्रा०वि०अमहा, अमेठी
जनपद-अमेठी।

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