विश्व गौरैया दिवस
जब हम छोटे बच्चे थे,
गौरैया को फुदकते देखते थे।
आँगन में वो आती थी,
चहल कदमी करते देखते थे।।
छोटी प्यारी सी है गौरैया,
विलुप्त होती जा रही गौरैया।
तिनका जोड़ नीड़ बनाती,
फर-फर, फर-फर उड़ती गौरैया।।
देखा पेड़ की टहनी पर,
देखा तस्वीरों के पीछे।
अंडे अपने सेती है वह,
आजादी से उड़ती है वह।।
शोभा आँगन की इनसे है,
मुँडेर पर सजावट इनसे है।
गूँजे किलकारी इनसे ही,
बचाने की जिम्मेदारी हम पर है।।
सब मिल एक अभियान चलाएँ,
प्यारी गौरैया को बचाएँ।
प्रजाति लुप्त न होने पाए,
आओ सब ये कसम खाएँ।।
रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
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