गौरैया दिवस

मेरे आँगन में जब वह आती है,

चीं-चीं करके शोर मचाती।

मन को भी पुलकित कर जाती,

जब फुदक-फुदक कर यहाँ-वहाँ जाती।।


मेरे आँगन में जब वो आती....


आँगन में बिखरे दाने खाकर,

खुशियों का माहौल बनाती।

तिनका-तिनका चोंच में लेकर वह आती,

घर के आँगन में अपना घोंसला बनाती।।

बच्चों को वह बहुत लुभाती,

चीं-चीं कर जब पंखों को फैलाती।


मेरे आँगन में जो वो आती......


अब क्यों नहीं आती गौरैया,

क्या तुम हमसे रूठ गई हो।

फिर से तुम घर के आँगन में आओ,

आँगन में बिखरे दाने खाकर,

सुंदर घर का माहौल बनाओ।।


गौरैया रानी वापस आ जाओ...


रचनाकार

मृदुला वर्मा,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,

विकास खण्ड-अमरौधा,

जनपद-कानपुर देहात।


Comments

Total Pageviews