लोकपर्व फूलदेई

फूलदेई संग्रात का आया है त्योहार

प्रकृति में भी छा गई फूलों की बहार

भाँति-भाँति के फूल खिल गये

महक रहा सारा संसार

नन्हें-नन्हें बच्चों की टोली

चुन चुन लायी फूल अपार

घर-घर खुशियाँ बाँट रहे

गा-गाकर मीठे गीत मल्हार

बदले में हम से माँग रहे

बस थोड़ा सा ही प्यार दुलार

बच्चों के संग बच्चे बनकर

नाचें गाएँ बाँटें प्यार

फूलों की तरह महका दें

आओ मिलकर यह संसार


रचयिता

शालिनी शर्मा,

सहायक अध्यापक,
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छापुर,
विकास खण्ड-भगवानपुर,
जनपद-हरिद्वार,
उत्तराखण्ड।



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