शहीद दिवस

आओ बच्चों तुम्हें      मार्च का इतिहास बताएँ,

भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव से तुम्हें मिलाएँ।

भारत माँ की आजादी जान से ज्यादा प्यारी थी,

ऐसे बलिदानियों से तुम्हारा परिचय कराएँ।।


भारत माँ गर्वित है अपने तीनों लालों पर,

ध्यान दिया न जिन्होंने कभी अपने छालों पर।

श्रद्धा-सुमन हृदय आज अर्पित करता है,

त्यागी भूख, न जिया जीवन अंग्रेजों के निवालों पर।।


दुर्भाग्यपूर्ण थी घटना अंग्रेजों ने जब छला था,

24 की जगह 23 को फाँसी के लिए चुना था।

विस्मित थे सारे भारतवासी चीत्कार कर उठे, 

पर इन माँ के लाडलों ने बलिदान को चुना था।।


नमन उस मिट्टी को वीरों ने था जहाँ जन्म लिया,

देशभक्ति के लिए सर्वस्व समर्पित किया।

शहीदों की महिमा हमसे जाये न बखानी,

प्रतिक्षण हमारे उर में जिन्होंने जिया।।


असाधारण तीनों क्रान्तिकारियों ने चकित किया था,

धरती माँ ने भी छुप-छुपकर विलाप किया था।

इनकी शहादत भला कौन भूल सकता है,

देश की स्वतन्त्रता का जिन्होंने आगाज किया था।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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